Narko Test Kya Hai । नार्को टेस्ट क्या होता है ।

Narko Test Kya Hai । नार्को टेस्ट क्या होता है ।
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Narko Test Kya Hai । नार्को टेस्ट क्या होता है ।

हैलो दोस्तों, स्वागत है आपका हमारे इस वेबसाइट vikramsaw.com पर, दोस्तों आज के इस पोस्ट Narko Test Kya Hai । नार्को टेस्ट क्या होता है । एवं नार्को टेस्ट से रिलेटेड काफी मजेदार बातों पर बात करेंगे |दोस्तों  आप लोंगों ने नार्को टेस्ट के बारे में जरुर सुना होगा तो आपके मन में भी ये सवाल आया होगा कि आखिर ये नार्को टेस्ट होता क्या है और कैसे किया जाता है तो आज के इस पोस्ट में हम नार्को टेस्ट से रिलेटेड काफी सारे चीजों के बारे में बात करेंगें तो चलिये शुरु करते हैं |

Narko Test Kya Hai । नार्को टेस्ट क्या होता है ।

नार्को टेस्ट की परिभाषा-

सबसे पहले हम बात करते हैं कि नार्को टेस्ट होता क्या है तो आपको बता दें नार्को टेस्ट एक प्रकार का मानव टेस्ट है जिसमे किसी मनुष्य को आधी बेहोशी की हालत में पूछ-ताछ किया जाता है जिसमे मनुष्य अपने दिमाग का पूरी तरह  इस्तेमाल करने में असमर्थ होता है और वह सच बोलने लगता है यह प्रकार से विज्ञानिक प्रक्रिया है | यह सर्व साधारण के उपयोग के लिए नही होता है इसे केवल कानुनी प्रक्रिया में मुजरिम पर इस्तेमाल किया जाता है |

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नार्को टेस्ट कैसे काम करता है-

नार्को टेस्ट कैसे किया जाता है

जब किसी मुजरिम से पूछताछ के दौरान नार्को टेस्ट किया जाता है तो इसमें उसे ड्रग के रूप में एथेनॉल,सोडियम केमिकल ड्रग्स के इंजेक्शन दिये जाते हैं | कुछ लोग इसे टुथ ड्रग्स भी कहते हैं क्योंकि ये दवाई इंसान को आधा बेहोस कर देती है और फिर इंसान semi-conscious के स्थिति में चला जाता है और जब कोई भी इंसान semi-conscious की स्थिति  में चला जाता है तो वह चाहकर भी झुठ नहीं बोल सकते हैं |

क्योंकि वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार झुठ बोलने के लिये हमें कल्पनाओं का सहारा करना पड़ता है, और अपनी ओर से कुछ बातें को जोड़नी पड़ती है और कुछ बातें को छुपाना पड़ता है यानि अपने दिमाग को लगाना ही पड़ता है इसलिये हमें झुठ बोलने के लिये ज्यादा दिमाग का इस्तेमाल करना पड़ता है और सच बोलने के लिये हमें न कुछ जोड़ना पडता है न कुछ छुपाना पड़ता है सच बोलने के लये हमने जो देखा हुआ है और जो महसुस किया है वह सब हमारे दिमाग में पहले से ही मौजुद हुआ होता है इसलिये सच बोलने के लिये हमें दिमाग का कम इस्तेमाल करना पड़ता है |

Narko Test Kya Hai | नार्को टेस्ट का इस्तेमाल सबसे पहले किसने किया-

नार्को टेस्ट का इस्तेमाल सबसे पहले 1992 में टेक्सास के महान् डॉक्टर राबर्ट हाउस ने दो मुजरिमों पर किया था | और अभी इसका उपयोग हमारे भारत में स्पेशल केस में सीबीआई जांच के दौरान ऐसी ही कुछ दवाईयों का उपयोग करती है जैसे की इनमें एक दवाई फेमस है- इन्टाविनस बॉबीटेडस का इस्तेमाल करती है यह एक प्रकार की नशीली दवा है जो कि इन्जेक्शन के माध्यम से नार्को टेस्ट के दौरान दी जाती है । इसे भारत में पुलिस इसे कई सालो सेे इस्तेमाल कर रही है जो कि खुद को दोषी ठहराने के खिलाफ दिये गये अधिकारों का वायलेशन है |

नार्को टेस्ट कैसे किया जाता है-

Narko Test Kya Hai । नार्को टेस्ट क्या होता है ।

चलिये अब हम बात करते है कि कैसे किया जाता है, नार्को टेस्ट में जिस भी मुजरिम से पुछताछ करनी होती है उसकी तबीयत की जांच की जाती है उसके बाद यह तय किया जाता है कि उसके तबियत के अनुसार उसके उपर कौन से केमिकल का इस्तेमाल करना सही होगा और उसकी कितनी मात्रा देनी होगी |

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चेकअप करने के बाद उसे पहले ड्रग दिया जाता है फिर उससे सिंपल-सिंपल सवाल पूछे जाते हैं और जैसे  पहले उसका नाम, उसकी उम्र आदि क्योकि इस दवाई का ज्यादा उपयोग, और गलत दवाई खाने से करने से व्यक्ति की मौत हो जाती है
और इंसान के दिमाग में इसका गहरा प्रभाव भी पड़ सकता है। इसलिये उम्र और तबीयत के हिसाब से ही उसको इंजेक्शन दिया जाता है

नार्को टेस्ट कितने प्रकार का होता है ?

नार्को टेस्ट कितने प्रकार का होता है

नार्को टेस्ट दो तरीकों से किया जाता है एक पॉलिग्राफ मशीन के द्वारा और दुसरा होता है ब्रेन मेमोरी टेस्ट के द्वारा सबसे पहले हम बात करते हैं पॉलिग्राफ मशीन के बारे में जब किसी मुजरिम का नार्को टेस्ट किया जाता है तब पॉलिग्राफ मशीन उसका ब्लड प्रेशर,पल्स रेट,ब्रीड स्पीथ,हार्ट रेट और उसके शरीर में होने वाली एक्टिविटी को रिकॉर्ड करती है और फिर उसे डिस्प्ले करता है फिर मुजरिम से कुछ साधारण  प्रश्न पूछे जाते है

जिससे वह झुठ नहीं बोल पाता जैसे कि उसका नाम उसके माता-पिता का नाम उसके निवास पता वो क्या काम करता है, उसकी उम्र क्या है, और इस दौरान जब सवाल-जवाब का फ्लो बनता है तो फिर धीरे-धीरे उससे वह सवाल पुछे जाते है जिनको इनवेस्टिगेटर ऑफिशर जानना चाहते हैं

तो इस प्रकार इस तरह से मुजरिम सच उगल देता है हालांकि कुछ एक्सपर्ट का यह मानना है semi-conscious की स्थिति पर आने के बाद भी मुजरिम झुठ बोल सकते है लेकिन इसका चांस केवल 5 प्रतिशत ही हो सकता है वरना ज्यादातर केसेस भी वो सच हीे बोलते हैं

दुसरा होता है ब्रैन मैेंपिग टेस्ट
ब्रैन मैंपिग टेस्ट अमेरिका द्वारा न्युरोलॉजिस्ट डॉक्टर लॉरेन्स फॉरवेल ने 1962 में किया था और ज्यादातर जगहो में इसी का इस्तेमाल भी किया जाता है ये एक ऐसा टेस्ट है जिसमें किसी व्यक्ति को कम्पयुटर से जुड़ा हुआ हेलमेट पहनाया जाता है जिस हेलमेट में सेन्सर लगे होते हैं और ये सेन्सर दिमाग में होने वाली सारी हलचल को रिकार्ड करतें हैं और उस हलचल को स्क्रिीन में दिखाते हैं,

ब्रैन मैंपिंग के दौरान मुजरिम को तरह-तरह की आवाजें सुनाई जाती है और उसके आगे रखी हुई स्क्रीन पर कुछ फोटों और विडियो दिखाई जाती है फिर जिस केश में वो मुजरिम पकड़ा गया है उसको उससे जुडे हुये विडियो दिखाये जाते हैं और ऑडियो भी सुनाये जाते हैं और जब वह अपराध से जुड़ी चीजों को पहचानता है तो तरंगे स्क्रीन पर अलग प्रकार से दिखाये जाते है यानि उसके झूठ बोले जाने का संकेत देते है |

इस प्रकार नार्को टेस्ट के माध्यम से परिणाम निकाला जाता है |

तो आज के इस पोस्ट Narko Test Kya Hai । नार्को टेस्ट क्या होता है । में आपने जाना कि नार्को टेस्ट क्या होता इसका उपयोग कब और कैसे किया जाता है | आशा करता हूं ये पोस्ट आप सबको सही जानकारी देने में कामबाय हुआ होगा अगर हुआ तो इस पोस्ट को अपने तक ही सीमित न रखें इस विडियों का शेयर करे Facebook और Whatapp पर- इस पोस्ट को पढने के लिये आप सब का दिल से धन्यवाद..

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